Health News : एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) या एक्यूट किडनी रोग एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) के एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि अब यह बीमारी युवाओं में तेजी से फैल रही है। खासतौर पर 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं, जो एक चिंताजनक संकेत है। यह स्थिति न केवल शारीरिक रूप से विकलांगता का कारण बन रही है, बल्कि इससे मृत्यु दर भी बढ़ रही है।
आरएमएल अस्पताल ने किया अध्ययन :
आरएमएल अस्पताल के नेफ्रोलाजी विभाग के विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन में यह सामने आया कि 283 मरीजों में से 56.2 प्रतिशत पुरुष और 43.8 प्रतिशत महिलाएं थीं। इन मरीजों में से 60.7 प्रतिशत की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच थी। इन मरीजों में से 40.6 प्रतिशत को पूरी तरह से ठीक किया जा सका, जबकि 30.4 प्रतिशत की मृत्यु हो गई। दुखद यह है कि इनमें से 24.4 प्रतिशत मरीजों की मौत इलाज शुरू करने के सात दिनों के भीतर हो गई। अध्ययन के दौरान यह भी देखा गया कि अधिकांश मरीजों का किडनी संक्रमण के कारण खराब हुआ था। 9.9 प्रतिशत मरीजों में दवाइयों के दुष्प्रभाव से किडनी खराब हुई, जिसमें नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDs) के दुष्प्रभावों का बड़ा हाथ था।
युवाओं में बढ़ता खतरा :
आमतौर पर एक्यूट किडनी रोग का सामना बुजुर्गों को करना पड़ता है, लेकिन विकसित देशों की तुलना में भारत में यह समस्या युवा वर्ग के बीच तेजी से फैल रही है। इस बदलाव का प्रमुख कारण भारतीय समाज में होने वाले संक्रमण, पर्यावरणीय कारण और अस्वस्थ जीवनशैली को माना जा रहा है। कई बार युवाओं में यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब वे स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं या इलाज में देरी करते हैं।
जानिए क्या है इसकी वजह ?
एक्यूट किडनी रोग के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण संक्रमण है। डॉ. हिमांशु शेखर महापात्रा, जो आरएमएल अस्पताल के नेफ्रोलाजी विभाग के विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि सेप्सिस, गैस्ट्रोइंटेस्टाइन संक्रमण, डिहाइड्रेशन और सांस के संक्रमण जैसे कारण किडनी की स्थिति को गंभीर बना सकते हैं। इसके अलावा महिलाओं में प्रसव के बाद रक्तस्राव भी किडनी की खराबी का एक कारण बन सकता है। इन सभी कारणों से बचाव के लिए बेहतर साफ-सफाई, सही खानपान और संक्रमण से बचाव के उपाय बेहद जरूरी हैं। खासतौर पर खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
इलाज और बचाव :
अगर एक्यूट किडनी रोग का समय पर इलाज किया जाए और मरीज वेंटिलेटर तक न पहुंचें, तो करीब 60 प्रतिशत मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। हालांकि, 10 प्रतिशत मरीजों को हमेशा के लिए डायलिसिस की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि उनकी किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है। इसके लिए जरूरी है कि लोग इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानें और तुरंत इलाज करवाएं।